उज्जैन : कार्तिक मेले में नगर पालिक निगम द्वारा आयोजित अखिल भारतीय मुशायरा सफ़लता पूर्वक सवेरे तक चलता रहा, जिसमें शायरों ने अपनी शायरी से रात भर श्रोताओं को आनंदित किया।
मुशायरे का आरंभ नाते पाक से हुआ, मशहूर अंतरराष्ट्रीय शायर नईम अख़्तर ने अपनी मीठी आवाज़ में नात पढ़ कर माहौल को रूहानी बना दिया। इसके बाद शायरी का जो सिलसिला शुरू हुआ उसमें इस्माईल नज़र और अज़ीम देवासी के बाद वसीम राजुपूरी, हामिद भुसांवली, अल्तमश अब्बास, असरार चंदरवी, खालिद नय्यर, एजाज़ अंसारी आदि ने अच्छी शायरी पढ़ कर श्रोताओं का दिल जीत लिया। भोपाल के विजय तिवारी और लखनऊ से पधारे अंतरराष्ट्रीय शायर सरदार चरणसिंह बशर की शायरी ने श्रोताओं को बहुत प्रभावित किया। दोनों की शायरी में विभिन्न मानवीय भावनाओं, संवेदनाओं का समावेश था जिसने सीधे श्रोताओं को प्रभावित किया।
सरदार चरणसिंह बशर का हर शेर खूब सराहा गया, उन्होंने पढ़ा कि -
*ये दुनिया नफरतों की आखरी स्टेज पर है*-
*इलाज इसका मोहब्बत के सिवा कुछ भी नहीं है*
*आग लगाने वालों ये भी याद रहे*-
*आग नहीं ये देखेगी घर किसका है*
सुप्रसिद्ध अंतरराष्ट्रीय शायर मंज़र भोपाली, माजिद देवबन्दी, नईम अख़्तर और निकहत अम्रोहवी अहमद अल्वी, नज्म हसन और डॉ फरीद खान ने अपने अपने अंदाज़ अपनी भूमिका निभाते हुए मुशायरे की सफ़लता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। मुशायरे की निज़ामत बेंगलौर के शफीक आब्दी ने की।
आरंभ में शायरों व अतिथियों का स्वागत संयोजक मुज़फ्फ़र हुसैन, सह संयोजक सलीम भाई कबाड़ी, ज़फ़र अहमद सिद्दीकी, अमजद ख़ान, गुलनाज नासिर खान और सचिव पी आर ओ अहमद रईस निज़ामी ने किया ।
पी आर ओ निज़ामी ने उज्जैन के दिवंगत शायर मरहूम असीम उज्जैनी और अख़्तर ग्वालियरी की याद से इस मुशायरे को समर्पित करने का उल्लेख करते हुए दोनों ही शायरों के कुछ शेर पेश करके उन्हें याद किया और उनकी आत्मशांति की प्रार्थना की।