आने वाले काले कानून के खिलाफ लामबंद हुए अधिकारी/कर्मचारी
 

देवास। केन्द्र सरकार द्वारा लाये जा रहे काले कानून के खिलाफ बुधवार को सभी अधिकारियों/कर्मचारियों ने अधीक्षण यंत्री कार्यालय के प्रांगण में हाथों में बैनर लेकर जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। मध्यप्रदेश विद्युत कर्मचारी संघ फेडरेशन इंटक के रीजनल सेक्रेटरी श्री मकसूद पठान, अभियंता संघ के क्षेत्रीय सचिव डॉ. धु्रवनारायण शर्मा ने बताया कि मुख्य रूप से निम्नांकित मांगों पर विरोध प्रदर्शन किया गया।

इलेक्ट्रिसिटी एक्ट 2003 के कारण उपभोक्ताओं, अधिकारियों/कर्मचारियों पर पड़ रहे विपरीत प्रभाव की समीक्षा स्वतंत्र प्रणाली से कराई जाये, सभी विद्युत निगमों/मण्डल का एकीकरण केरल एवं हिमाचल प्रदेश की तरह पुर्नगठन किया जाये। इलेक्ट्रिसिटी एमेंडमेंड बिल कर्मचारियों/अधिकारियों के संगठनों से चर्चा के बिना पारित नहीं किया जाये। इलेक्ट्रिसिटी एक्ट 2003 में विद्युत आपूर्ति के निजीकरण का प्रस्तावित संशोधन वापस लिया जाये और सभी फ्रेंचाईजी व निजीकरण करार निरस्त किये जाये। वितरण के क्षेत्र में देश की शासकीय शीर्ष कंपनियों का अध्ययन कर फ्रेंचाईजी के स्थान पर वही कार्य पद्धति अपनाई जाये। सुप्रीम कोर्ट के निर्णय अनुसार समान कार्य के लिये समान वेतन लागू करते हुए संविदा/आउटसोर्स कर्मियों को नियमित कार्यों के लिये नियमित किया जाये, सभी श्रेणी के समस्त रिक्त पदों पर नियमित भर्ती की जाये और नियमित प्रकृति के कार्यों में संविदा/ठेकेदारी प्रथा समाप्त कर संविदा कर्मियों को तेलंगाना सरकार के आदेश की तरह नियमित किया जाये। एस.ई.बी. के विघटन के बाद भर्ती हुए सभी कार्मियों के लिये पुरानी पेंशन प्रणाली लागू की जाये। सार्वजनिक उद्योगों का निजीकरण कर औद्योगिक घरानों को फायदा देने की नीति समाप्त की जाये। सरकारी क्षेत्र के बिजली उत्पादन गृहों का नवीनीकरण/उच्चीकरण किया जाये और निजी घरानों से मंहगी बिजली खरीद हेतु सरकारी बिजली घरों को बंद करने की नीति समाप्त की जाये। 

प्रदर्शन में अभियंता संघ के डॅा.डी.एन.शर्मा, विद्युत कर्मचारी फेडरेशन के श्री मकसूद पठान, भारतीय मजदूर संघ के श्री सुशील पांडे, आरक्षित वर्ग विद्युत कर्मचारी संघ के ए.पी.पारस, संविदा के निलेश कुंभकार ने संबोधित किया। इस अवसर पर इंजीनियर सतीश कुमरावत, रविकांत रंजन, उमेश चौरसिया, गिरीश शाक्य, उम्मेदसिंह राजपूत, फेडरेशन के क्षेत्रीय अध्यक्ष राजेन्द्रसिंह सोलंकी, जे.के.दोराया, एम.के.गीते, शीतल जैन, अनिल गांगुर्डे, वैशाली करम्बेलकर, वीरेन्द्र जैन, ममता धुर्वे, शिवानंद तिवारी, सलीम मिर्जा, शिरीष परांजपे, सुमनबाई, ललिता देशमुख, गजाधर मासहित बड़ी अनेकों कर्मचारी/अधिकारी ने विरोध प्रगट कर नारेबाजी की।