जो विनम्र होता है वह भगवान का प्रिय होता है- आचार्य शर्मा
 

शिव-पार्वती विवाह के भजनो पर झूमे भक्त, भूतो की टोली के साथ बारात लेकर पहुंचे शिवजी

देवास। भगवान के दो स्वरूप है सुक्ष्म एवं विराट। मनुष्य के अंदर भी दो स्वरूप है। इस संसार की जितनी नदिया है वह नाडिय़ा है और जितने भी पर्वत है वह भगवान की भुजाएं है। सात लोक नाभि से ऊपर है, सात नीचे है। भगवान की नाभि ही पृथ्वी है। भगवान नारायण ही सबकुछ है। कलयुग बैठा मार कुण्डली जाऊ तो मैं कहा जाऊ, अब हर घर में रावण बैठा इनते राम कहा से लाऊ। ब्रहजी ने जो इस सृष्टि का निर्माण किया। नर का मतलब अमन, जल का मकान है। उक्त उद्गार भौंसले कालोनी में भागवत ज्ञान महायज्ञ के तीसरे दिवस आचार्य हर्ष शर्मा ने व्यक्त किए। कथा में आज शिव-पार्वती विवाह भी उत्साह के साथ मनाया गया। शिव विवाह  के भजनो पर जमकर नृत्य किया। शिव विवाह के प्रसंग का सम्पूर्ण सचित्र वर्णन हुआ। जिससे भक्तो की आंखे भर आई। शिव जी पाण्डाल में भूता की टोली के साथ माता पार्वती को ब्याहने आए तो भक्तो ने फूलो की वर्षा कर शिवजी का स्वागत किया। महाराज श्री ने कहा कि भगवान ब्रह्मा के दाहिने भाग से मनुष्य एवं बाये भाग से स्त्री उत्पन्न हुए और उस ही से मनुष्य का निर्माण हुआ। जिंदगी में विनम्रता का गुण रखे। जो विनम्र होता है वह भगवान का प्रिय होता है। हरि की कृपा के लिए धन दौलत, मावा मिष्ठान की आवश्यकता नही है। महाराज श्री ने बताया कि दुर्योधन का निमंत्रण स्वीकार करते हुए गरीब विदुर जी के यहां मन के भाव का भोग लगाने ठाकुर जी दौड़ते हुए गए। इसलिए भगवान को बनाने के लिए हमारा मन, हमारा हृदय, ईश्वर को अर्पण करके अहंकार को त्यागकर उनके चरणो में अपने जीवन को जीने का प्रयास करना चाहिए। व्यासपीठ की आरती विकाससिंह जाट सहित विशेष अतिथि पूर्व मंत्री दीपक जोशी, संस्कार भारती क्षेत्रीय प्रचारक प्रमोद झा, पूर्व महापौर रेखा वर्मा, हीना राठौर, भाजयुमो पूर्व अध्यक्ष अमरदत्तसिंह ठाकुर आदि ने की। उक्त जानकारी समिति के रोहन श्रीवास्तव ने दी।