नफरतों के अंधेरों के विरुद्ध मोहब्बतों के दीप रोशन हुए  तोपखाने के मुशायरे ने एक नई मिसाल कायम की 


जौहर कानपुरी और महेंद्र यादव का हुआ विशेष सम्मान


उज्जैन : स्टेशन से महाकाल मंदिर की और जाने वाले मुख्य मार्ग के महत्वपूर्ण केंद्र बिंदु तोपखाना रोड से गत रात्रि जो संदेश जारी हुआ वो संपूर्ण राष्ट्र के लिए एक प्रेरणा है, मार्गदर्शन है। 
        पीस फाउंडेशन अध्यक्ष और मुशायरा संयोजक अहमद रईस निज़ामी द्वारा तोपखाना रोड पर आयोजित अखिल भारतीय मुशायरे ने एक नया इतिहास रचा। मुशायरे के आरंभ में ही अपने उद्बोधन में संयोजक निज़ामी ने घोषणा की कि ये मुशायरा मात्र मनोरंजन नहीं बल्कि एक संदेश है, हम इस मुशायरे के ज़रिए अपने शहर के सामने मोहब्बत, प्रेम, शांति, सौहार्द, राष्ट्र प्रेम और भाई चारे का संदेश देना चाहते हैं। और फिर कड़ाके कि ठंड में रात भर इस घोषणा के अनुरूप पयामे इंसानियत जारी होता रहा। 
         अनेक अंतरराष्ट्रीय शायरों की उपस्थिति से सजे इस मुशायरे के मंच से सुप्रसिद्ध शायर जौहर कानपुरी, अल्ताफ़ ज़िया, असद बस्त्वि,  वारिस वारसी, राजीव रियाज़, फय्याज़ अहसन, अबुजर नवेद, वक़ार फराजी, सज्जाद झंझट और अहमद निसार ने दिलों को जीत वाली शायरी और आकर्षक अंदाज़ के जरिए श्रोताओं को भरपूर प्रभावित किया। 
      पूरे मुशायरे में देश प्रेम, इंसान दोस्ती और भाई चारे की शायरी छाई रही,  ग़ज़ल की परंपरागत शायरी भी मुशायरे का आकर्षण रही। श्रोताओं ने अपने इन मेहबूब शायरों को तालियों गड़गड़ाहट और वाह वाह के साथ दिल खोल कर दाद दी। 
     सीनियर शायरों के साथ ही पहली बार उज्जैन आए नए शायरों को भी श्रोताओं खूब पसंद किया। हास्य व्यंग के शायर सज्जाद झंझट की शायरी और उनके अंदाज़ पर श्रोताओं ने खूब ठहाके लगाए। नई उम्र के मासूम शायर वकार फ़राज़ी की मीठी आवाज़ ने दिलों को जीत लिया। 
स्थानीय शायरों का प्रतिनिधित्व करते हुए दो उस्ताद शायरों समर कबीर और अब्दुल हमीद गौहर ने शानदार शायरी पढ़ कर श्रोताओं को प्रभावित किया। 
       मुशायरे की निज़ामत के दौरान अपने आकर्षक और प्रभावशाली अंदाज़ के जरिए अंतरराष्ट्रीय शायर अहमद रईस निज़ामी ने रात भर श्रोताओं को एक सुर में बांधे रखा और ये एहसास दिलाया जाता रहा कि ये मुशायरा पयामे इंसानियत एक सकारात्मक संदेश है। 
      आरंभ में अंतरराष्ट्रीय शायर जौहर कानपुरी को सदा ए इंसानियत अवॉर्ड और ठहाका सम्मेलन के संस्थापक श्री महेन्द्र यादव को सागर खय्यामी अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। 
     शहर क़ाज़ी खालिकुर रहमान की अध्यक्षता में आयोजित इस मुशायरे में भाई रफीक कुरैशी,
सैय्यद फ़ारुक, डॉ. आसिफ़ नागोरी, मुजफ्फर हुसैन, रमेश शर्मा, अब्दुल वहीद भाई, अनवर नागोरी, नवाब नागोरी, भुरू शैख़, सैय्यद बिलाल हसन, उरूज अहमद निज़ामी और सय्यद अब्दुल्लाह विशेष रूप से सम्मिलित रहे और सभी ने अतिथि शायरों को सम्मानित किया। 
मंच के फ्लेक्स पर संदेश
   मुशायरे के मंच पर लगे फ्लेक्स पर संयोजक निज़ामी का ये शेर उल्लेखनीय संदेश दे रहा था... 
वतन को जब भी होती है ज़ुरूरत जां निसारों की
लहू के कतरे कतरे से तिरंगा बोल पड़ता है