धर्म वृध्दि के लिए गृहस्थ आश्रम भी अति आवश्यक महामंडलेश्वर स्वामी विश्वात्मानंद महाराज ने किये महाकाल दर्शन-भक्तों ने स्वामीजी को पहनाया रत्न जड़ित रजत मुकुट


उज्जैन। धर्म को आगे बढ़ाने के लिए गृहस्थ धर्म भी अति आवश्यक है। गृहस्थ आश्रम से प्रजा की वृध्दि होती है, प्रजा की वृध्दि से धर्म की वृध्दि होती है, धर्म की वृध्दि से देवताओं को बल प्राप्त होता है, तो नारायण की महिमा बढ़ती है। माता-पिता के मोक्ष के लिए संतान धर्म करती है, इससे धर्म का महत्व बढ़ता है। इसलिए गृहस्थ धर्म भी अति आवश्यक है।
उक्त बात अटल पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी विश्वात्मानंद सरस्वती महाराज ने एक दिवसीय अमृत प्रवचन के दौरान महाकाल प्रवचन हॉल में कही। रवि राय एवं अजीत मंगलम के अनुसार स्वामीजी एक वर्ष पश्चात अवंतिका नगरी में पधारे। यहां उन्होंने बाबा महाकाल के दर्शन किये तत्पश्चात महाकाल प्रवचन हॉल में भक्तों द्वारा महाराजश्री का सत्कार अभिनंदन किया गया। स्वामीजी के अनुयायी समाजसेवी हरिसिंह यादव द्वारा गुरूजी को रत्न जडित रजत मुकुट पहनाया गया। रवि राय ने बताया कि विगत दिवस मथुरा के गिरीराज में स्वामी विश्वात्मानंद सरस्वती महाराज द्वारा कथा का आयोजन किया गया था जिसमें हरिसिंह यादव मुख्य यजमान थे तथा उज्जैन से करीब 1500 भक्त इस कथा में सम्मिलित हुए थे।
रवि राय ने बताया कि महाराजजी लखनउ में तेरह अखाड़ों के संत सम्मेलन से होकर वायुयान द्वारा इंदौर आए तथा वहां से उज्जैन पहुंचे। महाराजजी ने महाकाल मंदिर दर्शन किये पश्चात प्रवचन हॉल में भक्तों द्वारा महाराजश्री का सत्कार अभिनंदन किया गया।