समय पर अस्पताल पहुंचते बच सकती थी दो जिंदगी , शहर के नागरिक अभी भी कोरोना को हल्के में ले रहे हैं

उज्जैन। शहर में कोरोना पॉजिटिव 3 मरीजों की मौत से एक बार फिर शहर में दहशत का माहौल है इन तीनों मौतों में से एक नियाज खान अस्पताल का ही कर्मचारी था इसने 5 दिन तक रोग छुपाया और विमान होने के बावजूद स्वास्थ्य कर्मियों को खाना बाद में कार्य करता रहा लास्ट स्टेज पर पहुंचने के बाद अस्पताल में भर्ती हुआ जिस दिन अस्पताल में भर्ती हुआ उसी दिन इसकी मौत हो गई यहां तक कि इसकी मौत की खबर सुनकर इसकी पत्नी की भी मौत हो गई थी इसी प्रकार बहादुरगंज निवासी सरला परमार भी अपनी बीमारी छुपाती रही और लास्ट स्टेज पर अस्पताल पहुंची 27 अप्रैल को वह भर्ती हुई और इसी दिन उसकी मौत हो गई इस तरह अब 8 मौतें ऐसी हुई जो अस्पताल में भर्ती होने की कुछ समय बाद हुई दैनिक मालूम क्रांति ने इस संबंध में स्वास्थ्य अधिकारी एचपी सोनानीया से चर्चा की उन्होंने बताया की नियाज खान और सरला परमार यदि समय पर अस्पताल में भर्ती होते तो शायद उनकी जान बच जाती उन्होंने शहर के नागरिकों से अपील की है कि कोरोना के लक्षण दिखाई देने पर तत्काल अपना इलाज शुरू करवाएं जिससे जान का खतरा डाला जा सके और स्वयं तथा आस-पड़ोस के लिए खतरा ना बने, उन्होंने कहा कि आज जिन तीन मरीजों की मौत  कोरोना से होने की पुष्टि हुई है इनमें से दो जाने बचाई जा सकती थी।