बैंकों का निजीकरण आम जनता के साथ धोखा


 


उज्जैन। सरकार निजीकरण करने पर उतारू है और यह देश की जनता के साथ धोखा है यह बैंक हड़ताल हमारी नहीं आम जनता की लड़ाई के लिये है।

सिटी प्रेस क्लब पर आयोजित पत्रकार वार्ता में संयोजक यू एस छाबड़ा एवं यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन के पदाधिकारियों ने कहा कि बैंकों के राष्ट्रीयकरण के उपरांत बैंकों ने चहुमुखी विकास किया है। सरकारी योजननाओ, पेंशन, सब्सिडी, लोन आदि का क्रियान्वयन में सरकारी बैंके सबसे ज्यादा आगे रहती है। सरकार बैंकों  200 लाख करोड़ की पूंजी निजी हाथों में सौंपकर  निजी करण क्यों करना चाहती है यह समझ के परे है बैंकों के निजीकरण के बाद सबसे ज्यादा फायदा कारपोरेट सेक्टर को होने वाला है निजी करण के बाद विभिन्न प्रकार के चार्जेस और बैंकों के बड़े अमाउंट का पैसा लेकर भागने वालों की संख्या बढ़ जाएगी। निजीकरण के बाद बैंक केवल अपने लाभ के लिए कार्य करेगी ।सामाजिक दायित्वों का निर्वहन केवल राष्ट्रीयकृत बैंक ही कर सकती है ।आज 2 दिन से 11  बैंकों के 70 संस्थाओं के 1000 कर्मचारी हड़ताल पर थे हम आम जनता को तकलीफ नहीं पहुंचाना चाहते इसलिए नेट बैंकिंग और अन्य सुविधाएं चालू थी। लेकिन यह लड़ाई आगे भी जारी रहेगी। पत्रकार वार्ता में विभिन्न बैंको के प्रतिनिधि हेमंत श्रीवास्तव, राजेश गिरी, राजेंद्र नागर, देवेंद्र गंगराड़े, केशव पंड्या, मुकेश नीम, रविंद्र जेठवा, सुनील सोनी, आशीष यादव, विकास मालवीय, विपिन सितोलिया, प्रवीण मेहता, अंकित वर्मा, संतोष राव,चेतन सोनी ,सी एम घाटिया, सोनिया गोयल, ग्लोरिया मसीह, प्रांजल मंडलिया आदि उपस्थित थे।