उज्जैन ।क्या जिले का स्वास्थ्य महकमा और उसके कुछ जवाबदार अधिकारी शहर में कोरोना फैलाने का दुष्कृत्य जानबूझकर कर रहे हैं? क्या मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी शहर में कोरोना फैलाने का बड़ा कार्य करने में लगे हैं ?क्या जिन पर कोरोना रोकने की जवाबदारी है वही कोरोना फैलाने में अपनी अहम भूमिका निभा रहे हैं? यदि ऐसे लोग और उनके कारनामे सामने आने के बावजूद जिला प्रशासन खामोश रहता है तो इसके क्या मायने माने जाए!
एक पत्रकार परिवार के साथ जिस तरह अमानवीयता का उदाहरण प्रस्तुत किया गया, वह घोर निंदनीय है, लेकिन इसी परिवार के मुखिया की जान आफत में डालने के साथ-साथ पूरे परिवार की जान आफत में डालने का सनसनीखेज मामला सामने आया है। प्राप्त जानकारी के मुताबिक पत्रकार के पिताजी को जिनकी उम्र 66 वर्ष है उन्हें 29 मार्च को कोरोना पॉजिटिव आने के बाद चरक अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती किया गया था 2 दिन पहले 5 अप्रैल को उन्हें स्वस्थ बताकर रिलीव कर दिया गया था । रिलीव करने में भी घोर अनियमितताएं की गई। रिलीव करने के बाद आज पत्रकार के पास सुबह फोन आया कि आपके पिताजी की फिर से करवाई गई रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आई है और उन्हें अस्पताल में फिर से भर्ती करना पड़ेगा ,उनके घर बकायदा टीम भी पहुंची, सवाल यह है कि कोरोना पॉजिटिव मरीजों को अस्पताल से बगैर एंबुलेंस और सुरक्षा घेरे के घर भेजा क्यों भेजा जा रहा है? पत्रकार का आरोप है कि 2 दिन में पिताजी के संपर्क में पूरा परिवार आया , पत्रकार का यह भी आरोप है कि मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी से मिन्नतें करने के बाद उनके पिताजी का पुनः टेस्ट करवाया गया ,,यदि मिन्नते नहीं करते और फिर से टेस्ट नहीं होता तो पॉजिटिव पिता ना जाने कितनों को कोरोना पॉजिटिव कर देते, हो सकता है कि उनकी जान भी खतरे में पड़ जाती,,,,, आखिरकार इतनी बड़ी लापरवाही क्यों की जा रही है इसका जवाब मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी को देना चाहिए।