3 देशों 20 राज्यों की अहिंसा यात्रा में 15 हजार किलोमीटर चलकर,,, सेवाधाम के सेंवागन में पहुँचे शांति दूत आचार्यश्री महाश्रमण


सेवाधाम केवल नाम ही नही यहाँ काम भी सेवा का हो रहा है

जीवन में समय का नियोजन आवश्यक

- आचार्य श्री महाश्रमण

उज्जैन। अंकित ग्राम’ सेवाधाम आश्रम में तीन देशों और बीस राज्यों की अंहिसा यात्रा में पन्द्रह हजार किलोमीटर चलकर तेरापंथ धर्मसंघ के 11वें आचार्य श्री महाश्रमण ने  सतियों-मुनियों ने साथ आश्रम पहुँचकर यहाँ के बच्चों, युवाओं एवं बुजुर्गों को उनकी शांति, समाधि, उचित सद्गति, आध्यात्मिकता, धार्मिकता के साथ सेवा से परिपूर्ण वातावरण और सिद्ध समाधि की कामना हेतु मंगलता के आशीर्वाद दिये। आचार्यश्री महाश्रमण ने कहा कि सेवाधाम केवल नाम ही नही यहाँ काम भी सेवा का हो रहा है। आप आश्रम के संस्थाध्यक्ष डॉ. वेदप्रताप वैदिक एवं सुधीर भाई भाई गोयल ‘‘भाईजी’’ के विशेष अनुरोध पर सेवाधाम पहुँचे। आश्रम के प्रवेश द्वार पर 18 राज्यों की वेशभूषा और सेवाधाम के बैण्ड के साथ सुधीर भाई, श्रीमती कांता भाभी, श्री विनोद अमन बम, बड़नगर, इन्दौर संघ अध्यक्ष श्री निलेश मदनलाल रांका, श्री संदीप मारू बड़नगर, मोनिका-गौरी गोयल, श्री संजय जैन, उज्जैन ने द्वार पर आचार्यश्री की अगवानी की। इस अवसर पर देशभर से आए अनुयायी भी अंहिसा यात्रा में पहुंचे। आपने कहा कि सेवा के अनेक प्रकार है हम विशेषतया आध्यात्मिक सेवा में लगे है वहीं सेवाधाम में शारीरिक रूप से सेवा हो रही है। सेवा में ट्रांसपरेंसी, नैतिकता और मोरल वेल्यूस की अत्यधिक आवश्यकता है। अंहिसा यात्रा सद्भावना, नैतिकता और नशामुक्ति पर आधारित है। आचार्यश्री ने अपने ऑनलाईन उद्बोधन में यह भी कहा कि जीवन में समय का नियोजन बहुत ही आवश्यक है। जो जीवन में समय का अच्छा उपयोग करता है वह अच्छा पुरूष एवं जो समय का दुरूपयोग करता है वह खराब पुरूष है। जीवन में प्रत्येक कार्य के लिए समय निर्धारित होना आवश्यक है जैसे उठना, सोना, भोजन, प्रार्थना और नित्य कार्य आदि। समय का नियोजन ही जीवन में सफलता देता है। आचार्यश्री ने समस्त आश्रवासियों को आशीर्वाद प्रदान किये एवं कोरोना गाइडलाईन अनुसार आपने चलचित्र के माध्यम से सेवा गतिविधियों की जानकारी ली।