ब्लैक फंगस की पहचान करने के लिए ठीक हो कर गए कोरोना पॉजिटिव मरीजों का सर्वे होगा
सभी अस्पतालों को डिस्चार्ज के पहले ई एन टी विशेषज्ञ से जांच कराने के निर्देश
माधव नगर व चरक हॉस्पिटल के लिए दो एंडोस्कोपी मशीन खरीदी जाएगी
ब्लैक फ़गस का खतरा कोरोना पॉजिटिव मरीज के ठीक होने के एक माह तक भी बना रहता है ।
उज्जैन 18 मई । ब्लैक फंगस की पहचान एवं रोकथाम के लिए आज कलेक्टर श्री आशीष सिंह ने नाक कान गला विशेषज्ञ डॉक्टरों की बैठक ली तथा ब्लैक फंगस के मरीजों के उपचार के बारे में समीक्षा की ।
कलेक्टर ने विशेषज्ञ डॉक्टरों से चर्चा करने के बाद निर्देश दिए कि 1 अप्रैल के बाद ऐसे कोरोना पॉजिटिव मरीज जो ठीक हो कर घर गए हैं उनका टेलिफोनिक सर्वे किया जाएगा तथा उसे ब्लैक फंगस के लक्षणों के बारे में चर्चा की जाएगी साथ ही फीवर सर्वे करने वाली टीम भी घर-घर जाकर परीक्षण करेगी
।यदि सर्वे में किसी तरह के लक्षण पाए जाते हैं तो नाक कान गला विशेषज्ञ संबंधित मरीज के घर जाकर उनका परीक्षण करेंगे । कलेक्टर ने नाक कान गला विशेषज्ञ डॉक्टर से अनुरोध किया है कि इस संबंध में प्रश्नोत्तरी एवं जागरूकता के लिए प्रचार मटेरियल तैयार करें जिससे लोग समय रहते उपचार करवा सकें।सभी निजी एवम शाशकीय अस्पताल को कहा गया है कि वे कोरोना पॉजिटिव मरीज की फंगस की प्राथमिक जांच करें । कलेक्टर ने माधव नगर एवं चरक अस्पताल में भर्ती मरीजों की नाक कान गले की एंडोस्कोपी जांच करने के लिए आवश्यक दो मशीनें तुरंत खरीदने के निर्देश दिए हैं। कलेक्टर ने ब्लैक फंगस के लिए जिला अस्पताल में ओपीडी प्रारंभ करने के लिए कहा है।
विशेषक चिकित्सकों ने कहा है कि अभी वर्तमान मेंआईसीयू में भर्ती सभी मरीजों के एंडोस्कोपिक जांच की जाना चाहिए जिससे कि फंगस को रोकने में सहायता मिले साथ ही उन्होंने ब्लैक फंगस के लिए आवश्यक दवाइयों की आपूर्ति निर्बाध करने का आग्रह किया।
बैठक में नाक कान गला विशेषज्ञ डॉक्टर सुधाकर वैद्य , डॉ टी एस चौधरी ने बताया कि ब्लैक फ़गस का खतरा कोरोना पॉजिटिव मरीज के ठीक होने के एक माह तक भी बना रहता है ।इसलिए यदि किसी को नाक में रुकावट ,आंख आदि में सूजन आदि के लक्षण हो तो वे तुरंत चिकित्सक से पपरामर्श लें ।बैठक में जानकारी दी गई कि वर्तमान में उज्जैन शहर में 58 ब्लैक फंगस के मरीजों का उपचार चल रहा है । डॉ वैद्य ने कहा कि कोरोना पॉजिटिव मरीजों एवं डायबिटीज मरीजों को इस पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है ।उन्होंने बताया कि किसी भी स्थिति में मरीज की शुगर 200 से 250 सौ के बीच ही बनी रहना चाहिए। इसका विशेष ध्यान रखा जाए। बैठक में जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी से अंकित अस्थाना , यू डी ए सी ई ओ श्री एस एस रावत , मुख्य चिकित्सा स्वास्थ्य अधिकारी डॉ महावीर खंडेलवाल सिविल सर्जन डॉक्टर पी एन वर्मा एवं अन्य चिकित्सा अधिकारी मौजूद थे।
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