मैं स्वयं वो डॉक्टर हूँ जिसने लगातार दोनों बार आपको वोट किया है। कोविड का प्रभारी होने के कारण लगातार अस्पताल में काम करते हुए कहीं से संक्रमित हुआ फिर मुझसे मेरी पत्नी और 7 वर्षीय अस्थमैटिक बेटा भी आज साँस लेने की जद्दोजहद कर रहा है। मैं आपका बड़ा इनकम टैक्स पेयर भी हूँ मेरा आपसे सवाल करने का हक़ बनता है कि मुझे आपको चुनकर क्या मिला??
हमने डॉक्टरी की पढ़ाई जान बचाने, इलाज करने के लिए की थी, ऑक्सीजन का इंतज़ाम करने के लिए नहीं!! व्यवस्था आपकी ज़िम्मेदारी थी। आज आपके अस्पतालों में ऑक्सीजन नहीं है, रेमदेसिविर नहीं है पूछने पे आपकी IT सेल ज्ञान देने लगती है कि आवश्यक नहीं है! क्यों ?? क्योंकि आप उपलब्ध नहीं करवा पा रहे?
आज कितने सरकारी अस्पतालों में आपने अपने डॉक्टर्स, पैरामेडिकल स्टाफ और उनके परिजनों के लिए बेड रिज़र्व रखवाए? कितने मेडिकल प्रोफेशनल्स के इलाज को फ्री सुविधा दी?
रेमदेसिवीर और बात थी आज मेड्रॉल (सामान्य स्टेरॉयड) टेबलेट भी मार्किट से गायब है। 30 से 40 ₹ का नारियल पानी 80₹ में, मास्क , सैनिटाइजर और दैनिक उपयोग की अन्य वस्तुएं 3 गुना कीमत पर मिल रही हैं।
अब जब मौत मुहाने पर खड़ी है तब भी लोग फेसबुक और व्हाट्सएप्प पे IT सेल्स का कचरा डालकर बहस करने में लगे हैं कि नेहरू की तो सिगरेट तक विदेश से आती थी!! अपनी छवि चमकाते रहने के लिए आप कितने और बरस नेहरू को गाली देते रहोगे?
आज हमें अमेरिका ने वैक्सीन देने से ये कहकर मना कर दिया की हमें अपने राज्यों की आपूर्ति करना है!! आपको अपने राज्यों की आपूर्ति की चिंता नहीं थी? क्यों आपने पाकिस्तान और बांग्लादेश जैसे दुश्मन मुल्कों को वैक्सीन बांटी? 1 मई से घोषणा थी कि 18वर्ष से ऊपर सबको वैक्सीन लगेगी क्या हम उपलब्ध करा पाए?आज आपके नौजवान जो बिना वैक्सीन मर रहे हैं उनका पाप कैसे ढोएंगे आप??
अदार पूनावाला जिसे देश में वैक्सीन सप्लाई करना है वो डर के मारे विदेश भाग जाता है!! क्यों? क्या आप उसे सुरक्षा, कच्चा माल उपलब्ध कराने तक में असमर्थ रहे?
कितने लोगों का एंटीबाडी टेस्ट आपने करवाया? कितने लोगों की मृत्यु के बाद आपने वायरस के जीनोम की स्टडी करवाई? क्यों आईएएस की तर्ज़ पर डॉक्टर्स का अलग प्रशासनिक कैडर (IMS) नहीं बनाया? देश को समय पर इस भयावह स्थिति से निकालने में ये आपने लिए IMS, IAS से ज़्यादा कारगर साबित होता!!
रिसर्च बता रहे हैं इस समय केवल रेमदेसिविर, ऑक्सीजन और स्टेरॉयड जीवन रक्षक हैं सरकार उनकी उपलब्धता आम आदमी को सुनिश्चित कराने में असफल है? जब कलेक्टर और ड्रग इंस्पेक्टर के वितरण कराने के बाद भी कालाबाजारी हो रही हो तो समझ लीजिए सरकार नहीं है!! कहीं नहीं है।
जनता को अपने हाल पर मरने के लिए छोड़ दिया गया है। हम इतने असहाय कभी नहीं थे। पैसा होने के बावजूद आज व्यक्ति अपना सही इलाज, सही अस्पताल चुनने में असमर्थ है। क्योंकिं आपको चक्रवर्ती सम्राट बनना था। चुनावों और कुम्भ की भीड़ ने इस देश को आज यहां लाया के खड़ा कर दिया।
याद रखिये.. आपके सारे टैक्स देने, सारे नियम कायदे मानने के बाद भी व्यक्ति यदि ऑक्सीजन, रेमदेसिविर और अन्य दवाइयों की कमी से मरता है तो ये सरकारी हत्या है।
आप केवल चुनावों में व्यस्त रहे। वो मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा जो आपके हिसाब से आचार संहिता और लॉक डाउन लगाता खोलता रहा उसको आपने रिटायरमेंट के अगले दिन गोवा का गवर्नर बना दिया? क्योंकि उसने बंगाल का चुनाव आपके हिसाब से होने दिया!!
मंदिर का फैसला आपके हिसाब का होने पर आप जज को राज्यसभा भेज देते हैं। चुनाव आपके हिसाब से होने पर आप केंद्रीय चुनाव आयुक्त को राज्यपाल बना देते हैं? ये इस देश में कौन सी भ्रष्ट परंपरा बना रहे हैं आप? आपको बदनामी का डर नहीं लगता? या आप जनता को बेवकूफ समझते हैं?
PM केअर फण्ड खोलने पर आपके IT सेल के चउए हमसे बहस करते हैं की सरकार ने 500 ऑक्सीजन संयंत्र लगाने की मंजूरी दे दी है? अरे पैसा तो टैक्स पेयर्स का ही है। आग में सब खाक़ होने के बाद कुआ खोद भी लोगे तो कौन सा तीर चला लोगे?
जिस केरल की सरकार को आप पानी पी पी कर कोसते हो केवल उसी की सरकार ने समय पर ऑक्सीजन संयंत्र लगाया और वो अपने साथ साथ 2 और पड़ोसी राज्यों तमिलनाडु और कर्नाटक को भी ऑक्सिजन दे रहा है।
कल दिल्ली में एक नौजवान डॉक्टर ने केवल इसलिए आत्महत्या कर ली क्योंकि वो अपने वार्ड में भर्ती मरीजों के प्राण नहीं बचा पाए रहा था। इतनी शर्म अगर सरकार में बैठे लोगों को आ जाती तो निरीह जनता मारी न जाती..
एक राष्ट्र के रूप में कितने निर्मम, झूठे, मक्कार और भ्रष्ट होते जा रहे हैं हम इसकी बानगी आपको देश की वर्तमान स्थिति से ज़्यादा कुछ और नहीं मिलेगी.. इतनी लाशों के ढेर पर बैठ कर बंगाल फतह कर भी लिया तो किस मुंह से बची खुची जनता के सामने आएंगे?
सरकार.. आपने देश को हिन्दू मुस्लिम में खूब बांटा है..
आज देखिए.. आपका हिन्दू जाग तो गया है पर सांस नहीं ले पा रहा है।
डॉ. गिरीश चतुर्वेदी
पूर्व प्रदेश अध्यक्ष जूडा (मप्र)