फिर से खुदाई कर निकालेंगे जमींदोज की गई दीवार
डॉ. अवधेशपुरी महाराज के सुझाव से पुरातत्व विभाग सहमत
उज्जैन। सर्वविदित है कि आज से करीब 15 दिन पूर्व महाकाल मंदिर के नजदीक खुदाई में एक दीवार निकाली थी किंतु प्रशासन ने लीपापोती करते हुए उस दीवार को दुबारा से जमीन में ही दबा दिया था। पिछले दिनों उपेक्षित पड़ी पुरासंपदा का निरीक्षण करने के लिए पहुंचे डॉ. अवधेशपुरी महाराज ने दीवार के संबंध में अधिकारियों से पूछा तो वे दीवार नहीं दिखा पाए। वह ढंक दी गई थी तथा कई ऐतिहासिक पुरा साक्ष्य भी वहां उपलब्ध नहीं थे। महाराजश्री ने इस पूरे मामले को लेकर पुरातत्व विभाग के अधिकारियों से विस्तार से चर्चा की और सारी स्थिति से अवगत कराया। प्रिंसिपल सेक्रेटरी कल्चर एवं एमपी आर्कियोलॉजी कमिश्नर शेखर शुक्ला तथा पुरातत्व विभाग मध्यप्रदेश के अभिलेखागार प्रभारी डॉ. रमेश यादव ने महाराजश्री को बताया कि आप के दौरे के बाद हमने वहीं पुनः निरीक्षण किया है तथा दीवार वाले पूरे क्षेत्र को मजदूरों से खुदाई के निर्देश दिये हैं। यह खुदाई आज से प्रारंभ होगी। प्रशासन से बातकर अपना एक व्यक्ति वहां छोड़ा है जिसकी देखरेख में खुदाई होगी। हम उस पूरे क्षेत्र में खुदाई कराएंगे तथा अब तक प्राप्त हुई पुरा संपदा को त्रिवेणी संग्रहालय में संरक्षित कराएंगे। महाराजश्री ने संभावना व्यक्त की कि वह दीवार विक्रमादित्य कालीन महाकाल मंदिर का ढांचा हो सकता है, साथ ही सुझाव दिया कि क्यों न वहां ‘महाकाल म्यूजियम एंड रिसर्च सेंटर’ बनाया जाए। पुरातत्व विभाग इस सुझाव से सहमत हुआ तथा कहा कि हम आपके पत्र को अपनी सहमति के साथ दिल्ली भेजेंगे। महाराजश्री के लगभग समस्त सुझावों से पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग सहमत नजर आया।