अंतर राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर मध्य प्रदेश में दो दिवसीय ऑनलाइन सहजयोग कार्यक्रम*

 



आज विश्व में भारतीय योग की अवधारणा अति उत्साह से स्वीकारी जा रही है। परंतु अष्टांग योग जो यम, नियम ,आसन ,प्राणायाम ,प्रत्याहार, ध्यान ,धारणा ,समाधि इस प्रकार आठ अंगों को अपने में समाए हुए हैं इस योग की युक्ति को सही ढंग से समझना भी आवश्यक है। सहज योग की संस्थापिका परम पूज्य श्री माताजी निर्मला देवी जी ने योग की युक्ति के बारे में बताया है कि युक्ति के दो अर्थ हैं एक है जुड़ना अर्थात एकाकार होना और दूसरा है योजना प्रक्रिया को समझना सहज योग इन दोनों कार्यों में साधक को निष्णात बनाता है। ब्रह्म ज्ञानियों की मान्यता है कि जो पिंड में है वही ब्रह्मांड में है अर्थात जो जीवनी शक्ति है वह जीव में आत्मा के रूप में स्थित है और चराचर सृष्टि में परमात्मा के रूप में विद्यमान है। योग की युक्ति आत्मा को परमात्मा से एकाकार करने की प्रक्रिया है। जिसमें आसन , प्राणायाम  शरीर के व्यायाम है ,और ध्यान, धारणा मन मस्तिष्क  का अवबोधन । ध्यान की प्रक्रिया का उद्देश्य आत्मिक  शांति द्वारा चेतन मन की विशेष  अवस्था मे लाने का प्रयास है जो आन्तरिक  उर्जा  व जीवन शक्ति का निर्माण कर जीवन मे सकारात्मकता व आनंद लाता है।

इस योग की प्रक्रिया में  ध्यान से जुड़ने की वास्तविक युक्ति सहज योग द्वारा अत्यंत सरलता से निशुल्क सिखाई जाती है।

अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर दिनांक 20 व 21 जून को दो दिवसीय ऑन लाइन आत्म साक्षात्कार उत्सव मनाया जा रहा है जिसमे अनुभव सिद्ध ध्यान और मेडीटेशन  को  निशुल्क सिखाया जा रहा है। दिनांक 20 जून को यू ट्यूब चैनल janmasthali chhindwara पर एवं दिनांक 21 जून को यूट्यूब चैनल sahajayoga Indore पर इसका सार्वजनिक प्रसारण किया जाएगा।

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