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विश्व विख्यात बाबा महाकालेश्वर मंदिर उज्जैन की पहचान है म ० प्र ० के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ जी ने महाकाल मंदिर के विकास और दर्शनार्थी की सुविधा के लिए 300 करोड़ रूपये की योजना स्वीकृत कर , कार्यान्वित करने का कार्य प्रारम्भ कर दिया था शिवराज सरकार ने हमारी योजना को आगे बढाकर श्रेय लेते हुए प्रथम फेस को जल्दी से जल्दी पुरा कर प्रधानमंत्री मोदी से उद्घाटन कराकर अपनी पीठ थपथपाने के चक्कर में भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया और कई काम ऐसे करवा दिये है , जो गुणवक्ता विहीन है , जिससे कमिशन खोरी और हर किसी को चांदी काटने का मौका मिल गया । महाकाल लोक कॉरिडोर जिसका लोकार्पण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था , उसमें सेकडो मूर्तियां स्थापित हैं , जिसमें कई मूर्तिया जो एफआरपी ( FRP ) मैटेरियल यानी फाइबर युक्त है . जबकि धातु व पाषाण की मूर्ति लगनी थी जो शास्त्रसम्मत हैं , कमीशन एवं श्रेय लेने की होड़ में भाजपा शासन ने और जिला प्रशासन ने महाकाल लोक के समस्त निर्माण गुणवत्ता विहीन करवाए गए हैं . मूर्तियां स्थापित करते समय प्रशासन , सरकार द्वारा बड़े - बड़े दावे किए जा रहे थे कि . यह मूर्तियां सभी प्रकार के मौसम की मार आंधी तूफान से सुरक्षित रहेगी पहली आंधी बारिश में महाकाल लोक के भ्रष्टाचार युक्त निर्माण की पोल खुल गई . कई जाने जाते - जाते बची . कांग्रेस पार्टी ने समय - समय पर इसके विरुद्ध विधानसभा में भी आवाज उठाई थी की गुणवता का ध्यान रखा जाए . यहां तक कि महाकाल लोक सरफेस पार्किंग ठेके में हुए भ्रष्टाचार की लोकायुक्त में जांच भी लंबित है जिसमें कई आईएएस अफसर भी शामिल हैं और लगभग सभी के खिलाफ जांच चल रही है कांग्रेस पार्टी इन के विरुद्ध प्रकरण दर्ज करने की मांग करती है । गत दिवस आंधी तूफान में सप्तऋषियों की मूर्ति खंडित होना बहुत ही दुर्भाग्य जनक है , दर्शनार्थियों का विश्वास , और आस्या खंडित हुई है . उज्जैन कलेक्टर पुरुषोत्तम इस पर लीपापोती कर रहे हैं कि डिफेक्टिव लायबिलिटी पीरियड में इसे ठीक करवाया जाएगा . हमारा सवाल है कि निर्माण करते समय पूर्ण सुरक्षा का ध्यान क्यों नहीं रखा गया धातुओं एवं पाषाण की मूर्ति की जगह एफआरपी फाइबर युक्त मूर्तियां क्यों लगाई गई . कोरोना काल में वाले वाले कागजों में हेरफेर
प्रशासन और सरकार ने मसाई खाई है . समस्त होना चाहिए । पार्किंग में कईआईएएस को नोटिस जारी हुए , उसमें प्रकरण दर्ज क्यूँ नहीं हो रहा यहा तक की मंदिर समिति दुवारा लोकयुक्त को भी उपलब्ध नहीं कराये गए है जात रहे की इस मे 25 लाख की राशि को बिना टेरराशि बढ़ाकर करोड़ की राशि जारी कर दी गई थी दूसरी तरफ भगवान महाकालेश्वर के मंदिर में ही भारी भ्रष्टाचारका खेल चल रहा है . ऊपर की ऊपर पैसे बिक रही है . पैसे लेकर दर्शन कराए रहे हैं वीआईपी एवं प्रोटोकॉल का मखौल बनाया जा रहा है . प्रशासक की शह पर वहां के कर्मचारियों द्वारा एक ही रसीद पर बार - बार दर्शनार्थियों को दर्शन करा कर . भारी गवन किया जा रहा है . यहां तक कि दर्शनार्थियों श्रद्धालुओं द्वारा चढ़ावे के रूप में पढ़ाए जाने बारे सोने चांदी आदि के जेवरात को सोने जैसा पांटी जैसा लिखकर मंदिर के रिकॉर्ड में इंदाज किया जाता है और उस जेवरात को गायब कर उसकी जगह पीतल तांबे आदि के जेवरात रख दिए जाते हैं इस प्रकार की भी घटनाएं वहां हो रही है . महाकाल मंदिर अधिनियम की धज्जियां उड़ाई जा रही है और उससे विपरीत आकर वहाँ दर्शनों की सशुल्क व्यवस्था कर दी गई है जो कि नियम विपरीत है . एक्ट में कहीं ऐसा प्रावधान नहीं है कि भगवान के दर्शन शुल्क लेकर करवाए जाएंगे दर्शनार्थी और जनता के लिए कमरतोड़ शुल्क रखा गया है . जैसे ही ₹ 250 वीआईपी दर्शन 15 सौ रुपए में प्रति 2 व्यक्ति गर्भ यह मै दर्शन , ₹ 200 भस्मारती शुल्क किंतु इस . थोपे गए नियम शुल्क के बावजूद रैकेट दुवारा रुपए ऊपर की ऊपर लेकर वहां दर्शन आदि भस्मारती बिकने का खेल चल रहा है . समय - समय पर इसके विरुद्ध हमारे द्वारा आवाज उठाई गई और शिकायतें की गई है किंतु सिर्फ लीपापोती कर दी जाती है और कोई ठोस कार्रवाई सामने नहीं आई . पंडे पुजारियों के वेश में कोई भी वह परिसर में घूमता हुआ पाए जाता है और रुपए लेकर श्रद्धालुओं को बाले वाले दर्शन कराता है , और आम दर्शनार्थी ठगे से रह जाते हैं महाकाल की दान राशि का हो रहा दुरूपयोग महाकाल लोक के निर्माण के समय बेघर किये गये लोगो को मुआवजा महाकाल की दान राशि से दिया , मोदी की सभा में भाजपा कार्यकर्ताओं को महाकाल की दान राशि से लड्डू खिलाये गये । जल स्तम्भ बनाकर दान राशि की फिजूल खर्ची कि गई राष्ट्रपति कोविन्द की यात्रा का सत्कार खर्च भी महाकाल की दान राशि से किया गया जबकि ये जवाबदारी म ० प्र ० शासन की थी । यहा तक कि मंदिर कर्मियों के विरूध्द भी लोकायुक्त में जॉच लंबित है । इस दुर्वव्यवस्था के खिलाफ ठोस कदम ठोस कार्यवाही की आवश्यकता है . इसके लिए तुरंत प्रशासक को बर्खास्त कर हटाना चाहिए . उज्जैन जिले की दूसरी बड़ी पहचान सिंहस्य मेला है उसके लिए सुरक्षित की गई सेटेलाइट टाउन ( सिंहस्थ बाईपास से लगी हुई ) के उपयोग में ली गई भूमि मास्टर प्लान में आवासीय कर दिया गया जिसमें ढाई सौ करोड़ रुपए से ज्यादा का भ्रष्टाचार हुआ . सारा प्रदेश जानता है भाजपा के एक मंत्री की यहां सैकड़ी बीघा जमीन है जिस को लाभ पहुंचाने के लिए यह बड़ा खेल किया गया है कलेक्टर पुरषोत्तम को तुरंत वहां किसी भी प्रकार के निर्माण अथवा नक्शे स्वीकृति पर रोक लगाना चाहिए जिससे की आम जनता का पैसा वहां निवेश ना हो सके और वे ठगी से बच सकें , कांग्रेस की सरकार बनते ही उक्त क्षेत्र को
में 10-12 करोड़ जनता की संभावना है सौसरी उज्जैन की पहचान है पुण्य सलिलमलिश नदी पूरी के सालों में वर्तमान रतलाम शांसद यंत दुवारा 100 की योजना को अमलीजामा पहनाने किया था और सिया शुद्धिकरण के नाम पर करोड़ रूपया लिए गए जबकि है कि के 15 माह के शासन में अपर मंडे पानी में बद्धालुओं को स्नान कराने पर तत्कालीन संभागायुक्त एवं कलेक्टर को हटा दिया था और उससे उलट भाजपा शासन ने लिया में अति गर्द नाले का सिवरेज का पानी मिलने पर मात्र संविदाकर्मी कार्यवाही की पर और खाना पूर्ति कर ली इससे भाजपा की कंपनी और करनी में फर्क साफ जाहिर होता है , के लिए आरक्षित किया जाएगाह अबकि सिंह क्षेत्र से लगी हुई भूमिहीनह हुआ नर्मदा शिक्षा लिंक परियोजना की जो लगभग 3:30 सी करोड़ की योजना थी उसमें भी भारी और जिसमें 24 घण्टे 365 दिन जनता को पानी देने , शिप्रा नदी को निरन्तर प्रवाहमान करने का वादा किया था जबकि धरातल पर उज्जैन की जनता पानी पीने के लिए बूंद बूंद को तरस रही है , और शिघ्रा नदी में महान योग्य पानी भी नहीं है शिप्रा नदी में टाटा सीवरेज का कार्य के चलते लगातार और मंत्री शिक्षा परिक्रमा का ढोंग कर रहे हैं , लोगों की धार्मिक गंदा पानी मा शिप्रा मैया में मिल र आस्थाओं से भाजपा के जनप्रतिनिधियों द्वारा खिलवाड़ किया जा रहा है , उज्जैन जैसी धार्मिक नगरी को भाजपा सरकार , जिला प्रशासन एवं उनके जनप्रतिनिधियों द्वारा हर तरफ से दूषित किया जा रहा है . कांग्रेस पार्टी इसके विरुद्ध लोकायुक्त में शिकायत करेगी और दोषियों के विरुद्ध प्रकरण दर्ज करवाय जाएंगे । कांग्रेस की सरकार बनते ही महाकाल लोक में हो रहे भ्रष्टाचार की उच्च स्तरीय जाँच करवायेंगे ओर दाषियों को दंडित करेंगे । शिप्रा नदी की स्वच्छता एवं निरन्तर प्रवाहमान बनी रहे के लिए एक समिति बनायेगे जिसमें पक्ष - विपक्ष स्थानिय नागरिक पण्डे पुजारियो का प्रतिनिधित्व शामिल होगा । महाकाल मंदीर एवं अन्य देव स्थानों पर निशुल्क दर्शन व्यवस्था लागू करेंगे । स्थानिय नागरिको को पृथक द्वार से सुलभ दर्शन व्यवस्था लागू करेंगे । नित्य दर्शनार्थियों एवं हरीओम जल चढाने वाली हमारी माता - बहनों को किसी प्रकार की परेशानी न हो इसका विशेष ध्यान रखा जायेगा । प्रेस वार्ता में विधायक महेश परमार के साथ जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष कमल पटेल , शहर कांग्रेस अध्यक्ष रवि भदौरिया , पूर्व अध्यक्ष अनंत नारायण मीणा , नेता प्रतिपक्ष रवि राय , अजीतसिंह , अशोक भाटी , मुकेश भाटी , बीनू कुशवाह , सोनू शर्मा , मायात्रिवेदी , विक्की यादव , अरूण वर्मा , अरुण रोचवानी एवं कांग्रेस प्रवक्ता विवेक गुप्ता , बबलू खिची , दीपेश जैन सहित वरिष्ठ कांग्रेस नेता उपस्थित रहे